कोरोनिल पर सरकार दिनांक 24 -06 -2020
बाबा रामदेव द्वारा कोरोना के लिए अविष्कृत दवा कोरोनिल ने लोगों की उम्मीद बढ़ाई है। मगर आयुष मंत्रालय और icmr द्वारा इसके विज्ञापन पर रोक लगाना संदेह पैदा करने के लिए काफी है। रोक के साथ ही कई चर्चाएं शुरू हो गयी हैं। इस प्रकरण को ऐलोपैथी का आयुर्वेद के खिलाफ साजिश का हिस्सा बताया जा रहा है। शायद इस दवा के सफल होने पर आयुर्वेद के विकास और प्रचार में अपार बढ़ोतरी की सम्भावना थी मगर अब इस पर रोक लग जायेगी। मगर साथ में स्वामी जी के इस आविष्कार के सन्दर्भ में आयुष मंत्रालय द्वारा जो अज्ञानता दिखाई गयी कि उन्हें तो इसकी जानकारी ही नहीं है , यह भी विचारणीय है। क्या स्वामी जी ने सरकारी प्रक्रिया पर ध्यान दिए बगैर और उसका अनुकरण किये बगैर ही यह सब जल्दी बाजी में कर दिया ? देश के हर नागरिक की जिम्मेदारी सरकार की होती है। ऐसे में सरकार को विश्वास में लिए बगैर और प्रक्रिया का अनुकरण किये बिना किसी दवा को जारी करना एक वैकल्पिक व्यवस्था को जन्म देने की तरह है जो किसी भी तरह से सही नहीं है। अब जिस प्रकार से पतंजलि संस्थान ने सभी सैंपल सरकार को उपलब्ध करने की बात की है उससे पता चलता है कि प्रक्रिया के अनुपालन में कोताही तो बरती गयी है वह भी तब जब आप किसी रोग को आंशिक तौर पर नहीं बल्कि पूर्ण रूप से समाप्त करने का दावा कर रहे हों।
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डॉ द्विजेन्द्र, हरिपुर कलां , देहरादून
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