नैषधकार श्री हर्ष अपने काव्य नैषधीयचरितम् में कहते हैं -
अमहतितारासतादृकतारा न लोचनगोचरा
स्तरणीकिरना द्यामन्चन्ति क्रमादपरस्परा ।
कथयति परिश्रान्तिं रात्रीतमः सह युध्वनाम्
अयमपि दरिद्राणप्राणस्तमीदयितस्विषाम् ॥
स्वरूप से ही कमजोर सूक्ष्म तारिकाएं पहले की तरह दिखाई नहीं देती । चन्द्रमा भी रात के अन्धकार से लड़ते लड़ते थक गया है । और सूर्य की किरणें अहमहमिकया यानि पहले मैं पहले मैं की प्रवृत्ति से तेजी से गगन में व्याप्त हो रही हैं ।
लगता है हर्ष को पता था कि मोदी का सूर्य इसी तरह से देश भर में छा जायेगा । और कांग्रेस और अन्य दलों के नेता तारिकाओं की तरह गायब से हो जायेंगे । राहुल चन्द्रमा की तरह अपनी पार्टी के अंधेरों से लड़ते लड़ते थक जाएगा ।
डॉ द्विजेन्द्र ,हरिपुर कलां , देहरादून
अमहतितारासतादृकतारा न लोचनगोचरा
स्तरणीकिरना द्यामन्चन्ति क्रमादपरस्परा ।
कथयति परिश्रान्तिं रात्रीतमः सह युध्वनाम्
अयमपि दरिद्राणप्राणस्तमीदयितस्विषाम् ॥
स्वरूप से ही कमजोर सूक्ष्म तारिकाएं पहले की तरह दिखाई नहीं देती । चन्द्रमा भी रात के अन्धकार से लड़ते लड़ते थक गया है । और सूर्य की किरणें अहमहमिकया यानि पहले मैं पहले मैं की प्रवृत्ति से तेजी से गगन में व्याप्त हो रही हैं ।
लगता है हर्ष को पता था कि मोदी का सूर्य इसी तरह से देश भर में छा जायेगा । और कांग्रेस और अन्य दलों के नेता तारिकाओं की तरह गायब से हो जायेंगे । राहुल चन्द्रमा की तरह अपनी पार्टी के अंधेरों से लड़ते लड़ते थक जाएगा ।
डॉ द्विजेन्द्र ,हरिपुर कलां , देहरादून
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