मोदी का खौफ
जबसे जिन्दा हूँ और होशोहवाश में हूँ । मैंने इतना खौफ किसी का नहीं देखा जितना नरेंद्र मोदी का देखा है विपक्षियों में । कांग्रेस तो अस्तित्व के संकट से जूझ रही है और बौखलाई हुई है । उसके नेता जानते हैं कि उसके पप्पू सरीखे नेता ने उनको पूरी तरह से निराश कर दिया है । अब प्रियंका गांधी को ढोल नगाड़े के साथ वे कंधे पर बैठाएंगे । इधर मोदी को जिस तरह से गुजरात दंगों में लपेटकर घेरा जा रहा है और सिर्फ दो हज़ार दो ही याद करवाया जा रहा है कि कहीं दो हज़ार दो मत भूल जाना । उससे लगता है कि मोदी विरोधियों के पास इसके सिवाय कुछ है भी नहीं । तो क्या यह अन्य दलों के लिए ही अस्तित्व की लड़ाई हो गयी है ?
बीजेपी में भी कुछ लोग घबराये हैं । सुषमा जी का और अब आडवाणी जी का चेहरा दिखाई नहीं देता है और वे दोनों अब राजनैतिक परिदृश्य से गायब से हो गए हैं । उनकी मुस्कान गायब है । चेहरा उतरा हुआ है । वे कदाचित इन्तजार कर रहे हों और प्रार्थना कर रहे होंगे कि किसी तरह से इस मोदी नाम के कांटे को निकाला जाए । उनकी दिक्कत यह है कि वे मोदी की सीधे बुराई नहीं कर सकते । वरना वे भी मोदी को दो हज़ार दो पर घेरने में पीछे नहीं रहते । लेकिन अपनी पार्टी की बुराई कैसे करें । सिर्फ पराजय की दुआ कर सकते हैं । खैर ,
इधर एन डी ए के एक सहयोगी राज ठाकरे अलग परेशान हैं । वे शायद महाराष्ट्र में मोदी की रैली में बाल ठाकरे की रैलियों जैसी भीड़ देख कर घबराये है । उनका मराठी मानुष मन बेचैन है । इसलिए मोदी को सलाह देते हैं कि उन्हें अब गुजरात का मुख्यमंत्री पद छोड़ देना चाहिए । और कहते हैं कि मोदी अब पी एम् उम्मीदवार हैं इसलिए सिर्फ गुजरातियों की बात न करें । प्रशंसा भी करते हैं भारी मन से । अब उत्तर भारतीयों को गाली देने वाला इंसान सलाह दे रहा है ? जो अब तक मराठी मानुष मन से बाहर न निकल पाये वे देश की सीख दे रहे हैं ।
जिस तरह से दो हज़ार दो को रटाया जा रहा है और गुजरात के विकास को दर किनार किया जा रहा है वह हैरानी पैदा करता है । अब एक नयी पार्टी आयी है जिसके बारे में सोचकर कांग्रेस खुश है क्योंकि वहाँ जहां दिल्ली में पहले आप ने कांग्रेस को डुबाया वहाँ उसने समर्थन देकर आप की नैतिकता को डुबा दिया है । और अब उसी के भरोसे वह अपना बेडा पार देख रही है । इधर आप वाले कहते हैं कि वे मोदी कल्चर में विश्वास नहीं करते । उनके गोपाल राय कहते है - मोदी कल्चर मतलब मारकाट का कल्चर , दो हज़ार दो की संस्कृति , यानि दंगे की संस्कृति । हैरानी होती है आप पर , जो पार्टी नयी सोच का हवाला देकर राजनीति में आयी हो वह वही सडे गले विचार रखे जो अब तक और पार्टियां रखती आयी हैं तो हैरत होना स्वाभाविक है । गुजरात दंगा गोधरा की क्रिया की प्रतिक्रिया था यह तो सब मानते हैं । तो क्या गोपालराय यह कहना चाहते हैं कि गोधरा फिर दोहराया जाएगा और क्रिया पर प्रतिक्रिया फिर होगी । तो क्या वे मुसलामानों पर यह आरोप लगाना चाहते हैं कि वे फिर दंगे करेंगे ? गुजरात में दो हज़ार दो के बाद क्रिया नहीं हुयी तो प्रतिक्रिया भी नहीं हुयी । ११ साल से एक राज्य शांत और प्रगति पथ पर है । गोपाल राय क्या कहेंगे जब उन्हें पूछा जाए कि वो उन्नीस सौ चौरासी के कत्लेआम के आरोपियों के साथ खड़े हैं और सरकार बनाये हुए हैं । आज मोदी सिर्फ विकास की बात करते हैं । इससे इतर कुछ नहीं । मनमोहन जैसे पी एम् ने मोदी को विनाशक कह दिया , क्या पी एम् को यह शोभा देता है ? नहीं । लेकिन खौफ ही ऐसा है मोदी का कि हर तरफ हाहाकार मचा है । बटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी कहने वाली आप ने इस सम्बन्ध में अपने विचार कभी नहीं रखे । उनके प्रशांत भूषन कश्मीर पर अपना विवादस्पद बयान फिर से दोहराते हैं लेकिन पार्टी उनके बयान से किनारा कर लेती है । क्या यह धोखा नहीं है । क्या पार्टी को उन्हें डपटना या नोटिस नहीं देना चाहिये था । आप कहेंगे कि भाई , और पार्टियां कौन सा ऐसा करती हैं ? लेकिन और पार्टियां ऐसे वैसे बयान भी नहीं जारी करती । प्रशांत भूषन ने अभी तक इस बयान पर कोई न तो शोक प्रकट किया न माफ़ी मांगी । और न तो यह आश्वासन दिया कि दोबारा वे विचार कर ऐसे बयान देंगे ।आप तो शिंदे वाली पार्टी के तौर तरीकों पर अपनाने में लगी है । आपने उर्दू को दिल्ली में द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने की बात कही । क्या है यह ? सिर्फ वोटों के लिए ?आप तो अलग मूल्यों की बात करते हैं न । तो फिर यह मत कहिये कि औरों ने क्या किया है ? मैं तो मोदी समर्थक हूँ और चाहता हूँ कि मोदी पी एम् बनें । लेकिन जहां जहां भ्रष्ट राज्य सरकारें हैं वहाँ स्वच्छ आप की सरकार आये । लेकिन आप का मोदी विरोध मुझे अरविन्द विरोधी बना रहा है ।
मोदी खौफ के नहीं विकास के प्रतीक हैं और सभी को यह समझना होगा कि मोदी दबाव में अच्छी बैटिंग करते हैं । इसलिए करिये मोदी विरोध ।
डॉ द्विजेन्द्र , हरिपुर कलां , देहरादून
जबसे जिन्दा हूँ और होशोहवाश में हूँ । मैंने इतना खौफ किसी का नहीं देखा जितना नरेंद्र मोदी का देखा है विपक्षियों में । कांग्रेस तो अस्तित्व के संकट से जूझ रही है और बौखलाई हुई है । उसके नेता जानते हैं कि उसके पप्पू सरीखे नेता ने उनको पूरी तरह से निराश कर दिया है । अब प्रियंका गांधी को ढोल नगाड़े के साथ वे कंधे पर बैठाएंगे । इधर मोदी को जिस तरह से गुजरात दंगों में लपेटकर घेरा जा रहा है और सिर्फ दो हज़ार दो ही याद करवाया जा रहा है कि कहीं दो हज़ार दो मत भूल जाना । उससे लगता है कि मोदी विरोधियों के पास इसके सिवाय कुछ है भी नहीं । तो क्या यह अन्य दलों के लिए ही अस्तित्व की लड़ाई हो गयी है ?
बीजेपी में भी कुछ लोग घबराये हैं । सुषमा जी का और अब आडवाणी जी का चेहरा दिखाई नहीं देता है और वे दोनों अब राजनैतिक परिदृश्य से गायब से हो गए हैं । उनकी मुस्कान गायब है । चेहरा उतरा हुआ है । वे कदाचित इन्तजार कर रहे हों और प्रार्थना कर रहे होंगे कि किसी तरह से इस मोदी नाम के कांटे को निकाला जाए । उनकी दिक्कत यह है कि वे मोदी की सीधे बुराई नहीं कर सकते । वरना वे भी मोदी को दो हज़ार दो पर घेरने में पीछे नहीं रहते । लेकिन अपनी पार्टी की बुराई कैसे करें । सिर्फ पराजय की दुआ कर सकते हैं । खैर ,
इधर एन डी ए के एक सहयोगी राज ठाकरे अलग परेशान हैं । वे शायद महाराष्ट्र में मोदी की रैली में बाल ठाकरे की रैलियों जैसी भीड़ देख कर घबराये है । उनका मराठी मानुष मन बेचैन है । इसलिए मोदी को सलाह देते हैं कि उन्हें अब गुजरात का मुख्यमंत्री पद छोड़ देना चाहिए । और कहते हैं कि मोदी अब पी एम् उम्मीदवार हैं इसलिए सिर्फ गुजरातियों की बात न करें । प्रशंसा भी करते हैं भारी मन से । अब उत्तर भारतीयों को गाली देने वाला इंसान सलाह दे रहा है ? जो अब तक मराठी मानुष मन से बाहर न निकल पाये वे देश की सीख दे रहे हैं ।
जिस तरह से दो हज़ार दो को रटाया जा रहा है और गुजरात के विकास को दर किनार किया जा रहा है वह हैरानी पैदा करता है । अब एक नयी पार्टी आयी है जिसके बारे में सोचकर कांग्रेस खुश है क्योंकि वहाँ जहां दिल्ली में पहले आप ने कांग्रेस को डुबाया वहाँ उसने समर्थन देकर आप की नैतिकता को डुबा दिया है । और अब उसी के भरोसे वह अपना बेडा पार देख रही है । इधर आप वाले कहते हैं कि वे मोदी कल्चर में विश्वास नहीं करते । उनके गोपाल राय कहते है - मोदी कल्चर मतलब मारकाट का कल्चर , दो हज़ार दो की संस्कृति , यानि दंगे की संस्कृति । हैरानी होती है आप पर , जो पार्टी नयी सोच का हवाला देकर राजनीति में आयी हो वह वही सडे गले विचार रखे जो अब तक और पार्टियां रखती आयी हैं तो हैरत होना स्वाभाविक है । गुजरात दंगा गोधरा की क्रिया की प्रतिक्रिया था यह तो सब मानते हैं । तो क्या गोपालराय यह कहना चाहते हैं कि गोधरा फिर दोहराया जाएगा और क्रिया पर प्रतिक्रिया फिर होगी । तो क्या वे मुसलामानों पर यह आरोप लगाना चाहते हैं कि वे फिर दंगे करेंगे ? गुजरात में दो हज़ार दो के बाद क्रिया नहीं हुयी तो प्रतिक्रिया भी नहीं हुयी । ११ साल से एक राज्य शांत और प्रगति पथ पर है । गोपाल राय क्या कहेंगे जब उन्हें पूछा जाए कि वो उन्नीस सौ चौरासी के कत्लेआम के आरोपियों के साथ खड़े हैं और सरकार बनाये हुए हैं । आज मोदी सिर्फ विकास की बात करते हैं । इससे इतर कुछ नहीं । मनमोहन जैसे पी एम् ने मोदी को विनाशक कह दिया , क्या पी एम् को यह शोभा देता है ? नहीं । लेकिन खौफ ही ऐसा है मोदी का कि हर तरफ हाहाकार मचा है । बटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी कहने वाली आप ने इस सम्बन्ध में अपने विचार कभी नहीं रखे । उनके प्रशांत भूषन कश्मीर पर अपना विवादस्पद बयान फिर से दोहराते हैं लेकिन पार्टी उनके बयान से किनारा कर लेती है । क्या यह धोखा नहीं है । क्या पार्टी को उन्हें डपटना या नोटिस नहीं देना चाहिये था । आप कहेंगे कि भाई , और पार्टियां कौन सा ऐसा करती हैं ? लेकिन और पार्टियां ऐसे वैसे बयान भी नहीं जारी करती । प्रशांत भूषन ने अभी तक इस बयान पर कोई न तो शोक प्रकट किया न माफ़ी मांगी । और न तो यह आश्वासन दिया कि दोबारा वे विचार कर ऐसे बयान देंगे ।आप तो शिंदे वाली पार्टी के तौर तरीकों पर अपनाने में लगी है । आपने उर्दू को दिल्ली में द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने की बात कही । क्या है यह ? सिर्फ वोटों के लिए ?आप तो अलग मूल्यों की बात करते हैं न । तो फिर यह मत कहिये कि औरों ने क्या किया है ? मैं तो मोदी समर्थक हूँ और चाहता हूँ कि मोदी पी एम् बनें । लेकिन जहां जहां भ्रष्ट राज्य सरकारें हैं वहाँ स्वच्छ आप की सरकार आये । लेकिन आप का मोदी विरोध मुझे अरविन्द विरोधी बना रहा है ।
मोदी खौफ के नहीं विकास के प्रतीक हैं और सभी को यह समझना होगा कि मोदी दबाव में अच्छी बैटिंग करते हैं । इसलिए करिये मोदी विरोध ।
डॉ द्विजेन्द्र , हरिपुर कलां , देहरादून
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