मंगलवार, 21 जनवरी 2014

कृपया मोदी जी तक जरूर पहुंचाएं -
आदरणीय मोदी जी ! प्रणाम , जिस कारण से ये पंक्तियाँ लिख रहा हूँ वह बहुत जरूरी हैं क्योंकि ऐसा सुन और देख रहा हूँ -
मेरे कई मित्र हैं जो आरक्षित वर्ग से हैं और अच्छे भी हैं । ये सभी वर्त्तमान आरक्षण व्यवस्था से दुखी हैं । इनका मानना है कि वर्त्तमान आरक्षण व्यवस्था जिस रूप में चल रही है वह अच्छी नहीं है । इसमें यदि एक व्यक्ति को आरक्षण मिलता है तो उसकी तो पीढ़ियां तर  जाती हैं लेकिन वह निरंतर आरक्षण पाता  जाता है और ऐसे लोगों के कारण वह तबका अब बहुत पीछे छूट गया है जिसको आज तक कुछ नहीं मिला । इन सबकी सोच है कि यह तो फिर से वही  प्रवृति शुरू हो रही है जिसका खामियाजा एक वर्ग को भुगतना पड़ा और पड़  रहा है । आज दलित के साथ एक वर्ग और उभर रहा है - वह है - महादलित । यह वह वर्ग है जो कुछ भी हासिल नहीं कर पा रहा है । कहीं पर भी नियुक्तियों में अक्सर देखा जाता है कि नियुक्त आरक्षित लोगों में वे लोग ही ज्यादा नियुक्तियां पाते हैं जिनको पहले भी लाभ मिल चुका  है और जिन्हें कोई लाभ अब तक नहीं मिला वे वहीँ रह जाते हैं । आपसे अनुरोध है कि आप कोई ऐसे व्यवस्था बनाने की  घोषणा बीजेपी की  तरफ से करें कि पहले जब तक सभी व्यक्तियों को आरक्षण एक एक बार नहीं मिल जाता तब तक किसी को दोबारा क्यों आरक्षण मिले ? जब एक एक बार सभी को आरक्षण मिल जाए तब दोबारा सभी को आरक्षण दिया जाना शुरू किया जाये । उदाहरण के तौर पर - यदि कहीं पर सौ आरक्षित सीट्स हैं तो पहले इन सीट्स पर सिर्फ आरक्षण लाभ से दूर रहे लोगों की  नियुक्ति की  जाए मिमिमम  एलिजिबिलिटी के आधार पर । यदि सिर्फ  सत्तर सीट्स ही उदाहरण के तौर पर भरें तो फिर बाकी सीट्स पर एक बार लाभ प्राप्त लोगों को यह सीट्स दी जाए और यदि इन बची हुई तीस सीट्स में से बीस सीट्स ही भर पाती  हैं तो बाकि दस सीट्स पर दो बार आरक्षण प्राप्त लोगों को नियुक्ति दी जाए । इस  प्रकार से कम से कम एक बार तो पहले सबको आरक्षण मिल ही जाना चाहिए । फार्म में ही यह व्यवस्था होगी कि व्यक्ति को बताना होगा कि उसके पिता दादा को आरक्षण लाभ मिला था या नहीं । एक एक बार सबको आरक्षण मिलने के बाद यदि किसी के पिता को आरक्षण मिल चुका  है तो पुत्र को नहीं । लेकिन यदि पिता को आरक्षण लाभ नहीं मिला तो पुत्र को आरक्षण लाभ मिले भले ही दादा को लाभ मिल चुका  हो । यानि पिता पुत्र के आधार पर भी देखा जाये । इससे इस वर्ग में भी सामाजिक न्याय मिलेगा जो सामान होगा और सम्पूर्ण वर्ग के उन्नति के अवसर खुलेंगे ।
इसके अतिरिक्त एक तथ्य और है । आज कल आर्थिक आरक्षण पर बात चल रही है और कोई भी पार्टी आर्थिक आरक्षण पर कुछ कहने से बच रही है । मेरा कहना है कि भाजपा इस पर एक स्टैंड ले सकती है वह ऐसे है - पहले जो मैंने एक बात कही है कि यदि कहीं सौ सीट्स हैं और विज्ञापन निकलने पर यदि अभी तक आरक्षण से वंचित परिवारों के द्वारा यदि सत्तर ही सीट्स भर पाती हैं तब यदि सवर्ण जातियों के गरीबों का सही सूचीकरण जाए तब बाकि तीस सीट्स को सवर्ण जाति  के गरीबों के लिए आरक्षित  कर दिया जाए । लेकिन इसमें यह ध्यान रखा जाए , नियम बनाया जाए कि यदि सवर्ण जाति  के किसी व्यक्ति ने कोई गलत आय प्रमाण पत्र बनाया तो इसे सज्ञेय अपराध की  श्रेणी में रखा जाए । आय प्रमाण पत्र के नियम कड़े बनाये जाएँ । और जब तक ऐसी सवर्ण गरीब सूची नहीं बनती तब तक तो संपूर्ण आरक्षण एस सी एस टी को ही दिया जाए । ऐसा करने से भाजपा के पास वह वोट भी आयेगा जो अब तक आरक्षण से वंचित रहकर महादलित में बदल गया है । और सवर्ण के गरीबों का वोट भी आएगा । यह तरीका मुझे तो कारगर लगता है ।
उम्मीद करते हैं कि बीजेपी के मोदी जी कुछ ऐसा करने की  कृपा करेंगे । इसी प्रकार पहले विकास कार्य मलिन बस्तियों में किये जाएँ और इनके लिए एक कमीशन बनाया जाये ताकि इनके जीवन स्तर  को भी उठाया जाए । मलिन बस्तियों के विकास के लिए एक अलग कमीशन बनाने से भी वोटर पर असर पड़ेगा । इन मलिन बस्तियों में जाति धर्म का कोई मतलब न हो । यह सबके लिए हो ।
डॉ द्विजेन्द्र , हरिपुर कलां , मोतीचूर , रायवाला देहरादून

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