प्रधानमन्त्री बोले हैं कुछ
प्रधानमन्त्री बोले हैं कुछ। देश बर्बाद हो जाएगा अगर मोदी आ गए । यह बात वह आदमी कह रहा है जो यह स्वीकार कर रहा है कि वह रोजगार कम नहीं कर पाया , वह महंगाई न कम कर पाया । वह व्यक्ति कहता है कि मोदी से देश बर्बाद हो जाएगा। हैरानी होती है । उस व्यक्ति ने माना कि वह रोजगार नहीं दे पाया मतलब उसके राज में देश का नौजवान बर्बाद और बेकार घूमता रहा । उसे काम नहीं मिला । यानि बर्बादी बढ़ी । उसने माना कि वह महंगाई कम न कर पाया यानि उसने माना कि लोगों के घर में चूल्हे जले भले ही हों लेकिन वहाँ पर महंगाई के कारण आटा इतना गीला था कि रोटी बन ही नहीं सकी । यानि लोगों के चूल्हे आबाद न हो सके यानि बर्बाद हो गए । वह आदमी कहता है कि विकास के क्षेत्र में गुजरात को नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले मोदी के आने से देश बर्बाद हो जाएगा । हैरानी होती है । खुद स्वीकार करना कि गलतियां हुई है लेकिन कहना कि दूसरा बर्बाद कर देगा , है न मजेदार बात । वह व्यक्ति बोलता है कि वह जरूरत पड़ने पर बोलता था । यह नहीं बताता कि कोई उसे सुनता भी था या नहीं । क्या वह सपने में बोलता था ? या वाकई में कहीं बोलता था । वह शायद सत्ता के दूसरे केंद्र में बोलता था जहां की सरकार उसे चलानी पड़ती थी । वह वहाँ बोलता होगा । यस सर । नो सर । शायद यही बोलता होगा । उसकी पार्टी के चापलूस ब्लू टर्बन को हटाओ का नारा लगा रहे हैं । वह ईमानदार है । लेकिन बेईमानी को नहीं रोक सकता । वह अर्थ शास्त्री है मगर महंगाई नहीं रोक सकता । ज्ञान यदि व्यवहारशून्य हो तो नाकारा बन जाता है । ईमानदारी यदि कायर हो तो वह ईमानदारी को तो गली है ही , किसी काम की भी नहीं । चाणक्य ने कहा था कि समाज को दुष्ट व्यक्तियों की सक्रियता से उतना नुकसान नहीं है जितना सज्जनों की निष्क्रियता से । ईमानदारी निष्क्रिय हो और दुष्टता के आगे , बेईमानी के आगे घुटने टेक दे तो वह किस काम की ? साहस ही ईमानदारी को आगे बढ़ाता है और कायरता ईमानदारी के लिए अपशब्द है । लेकिन यह चाणक्य ने कहा था , चाणक्य राष्ट्र वादी थे । सो राष्ट्रवादी शब्द अपने धर्म निरपेक्ष देश में अपशब्द और साम्प्रदायिक शब्द है । वह क्यों सुनना चाहेगा । वह कहता है कि तीसरी बार पी एम् नहीं बनेगा । दो बार काफी नहीं है क्या । अब बचा ही क्या है जिसको वे बर्बाद करना चाहते हैं उन्होंने तो पी एम् की गरिमा को भी दागदार करने मो कोई कोर कसर नहीं छोड़ी । पी एम् का इतना अपमान शायद ही कभी हुआ हो जितना उनका हुआ लेकिन वे जाने क्यों पी एम् पद से चिपके रहे । अब कहते हैं कि देश बर्बाद हो जाएगा । ईश्वर उसे और हमें ऐसे दिन दोबारा न दिखाए ।
डॉ द्विजेन्द्र , हरिपुर कलां , रायवाला देहरादून
ब्लॉग - द्वंद्व
प्रधानमन्त्री बोले हैं कुछ। देश बर्बाद हो जाएगा अगर मोदी आ गए । यह बात वह आदमी कह रहा है जो यह स्वीकार कर रहा है कि वह रोजगार कम नहीं कर पाया , वह महंगाई न कम कर पाया । वह व्यक्ति कहता है कि मोदी से देश बर्बाद हो जाएगा। हैरानी होती है । उस व्यक्ति ने माना कि वह रोजगार नहीं दे पाया मतलब उसके राज में देश का नौजवान बर्बाद और बेकार घूमता रहा । उसे काम नहीं मिला । यानि बर्बादी बढ़ी । उसने माना कि वह महंगाई कम न कर पाया यानि उसने माना कि लोगों के घर में चूल्हे जले भले ही हों लेकिन वहाँ पर महंगाई के कारण आटा इतना गीला था कि रोटी बन ही नहीं सकी । यानि लोगों के चूल्हे आबाद न हो सके यानि बर्बाद हो गए । वह आदमी कहता है कि विकास के क्षेत्र में गुजरात को नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले मोदी के आने से देश बर्बाद हो जाएगा । हैरानी होती है । खुद स्वीकार करना कि गलतियां हुई है लेकिन कहना कि दूसरा बर्बाद कर देगा , है न मजेदार बात । वह व्यक्ति बोलता है कि वह जरूरत पड़ने पर बोलता था । यह नहीं बताता कि कोई उसे सुनता भी था या नहीं । क्या वह सपने में बोलता था ? या वाकई में कहीं बोलता था । वह शायद सत्ता के दूसरे केंद्र में बोलता था जहां की सरकार उसे चलानी पड़ती थी । वह वहाँ बोलता होगा । यस सर । नो सर । शायद यही बोलता होगा । उसकी पार्टी के चापलूस ब्लू टर्बन को हटाओ का नारा लगा रहे हैं । वह ईमानदार है । लेकिन बेईमानी को नहीं रोक सकता । वह अर्थ शास्त्री है मगर महंगाई नहीं रोक सकता । ज्ञान यदि व्यवहारशून्य हो तो नाकारा बन जाता है । ईमानदारी यदि कायर हो तो वह ईमानदारी को तो गली है ही , किसी काम की भी नहीं । चाणक्य ने कहा था कि समाज को दुष्ट व्यक्तियों की सक्रियता से उतना नुकसान नहीं है जितना सज्जनों की निष्क्रियता से । ईमानदारी निष्क्रिय हो और दुष्टता के आगे , बेईमानी के आगे घुटने टेक दे तो वह किस काम की ? साहस ही ईमानदारी को आगे बढ़ाता है और कायरता ईमानदारी के लिए अपशब्द है । लेकिन यह चाणक्य ने कहा था , चाणक्य राष्ट्र वादी थे । सो राष्ट्रवादी शब्द अपने धर्म निरपेक्ष देश में अपशब्द और साम्प्रदायिक शब्द है । वह क्यों सुनना चाहेगा । वह कहता है कि तीसरी बार पी एम् नहीं बनेगा । दो बार काफी नहीं है क्या । अब बचा ही क्या है जिसको वे बर्बाद करना चाहते हैं उन्होंने तो पी एम् की गरिमा को भी दागदार करने मो कोई कोर कसर नहीं छोड़ी । पी एम् का इतना अपमान शायद ही कभी हुआ हो जितना उनका हुआ लेकिन वे जाने क्यों पी एम् पद से चिपके रहे । अब कहते हैं कि देश बर्बाद हो जाएगा । ईश्वर उसे और हमें ऐसे दिन दोबारा न दिखाए ।
डॉ द्विजेन्द्र , हरिपुर कलां , रायवाला देहरादून
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