रविवार, 11 अगस्त 2013

क्या टोपी पहनने को लेकर कांग्रेस या सपा या बी एस पी जैसे दल मात्र राजनीति नहीं कर रहे ? अब तक नरेन्द्र मोदी पर टोपी न पहनने को लेकर निशाने साधे जाते रहे और दो दिन पहले शिवराज चौहान ने टोपी पहन ली तो कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि  टोपी पहनने से कोई धर्म निरपेक्ष नहीं हो जाता । क्योंकि इस बार टोपी शिवराज ने पहन ली थी । उनसे पूछा गया था कि  शिवराज और मोदी में से कौन धर्म निरपेक्ष है और कौन सांप्रदायिक ? तो साहब परेशान हो गए थे । किसे सांप्रदायिक कहें और किसे धर्मनिरपेक्ष ? तो कह डाला  कि  टोपी पहनने से कोई धर्म निरपेक्ष नहीं हो जाता । यानि एक बार फिर से मुसलमानों को टोपी पहना दी कांग्रेस के इस नेता ने ।यानि मामला कुल मिलकर बेवकूफ बनाने का है जैसा कि  तथाकथित धर्म निरपेक्ष पार्टियाँ वर्षों से बेवकूफ बनाती आ रही हैं । सोचिये , क्या कोई धर्म निरपेक्ष नेता धर्म के आधार पर कोई सुविधा देने की कोई बात कर सकता है ? या उसको ऐसा करना चाहिए ? नहीं , लेकिन ये तमाम तथाकथित धर्मनिरपेक्ष नेता धर्म के आधार पर मुसलमानों को आरक्षण दिए जाने की बात निरंतर करते आ रहे हैं । क्या यही धर्म निरपेक्षता है ? हैरानी होती है इस सोच पर और उन लोगों पर भी जो इस प्रवृति को समझ तक नहीं पाते । सच कहूं तो यह तो वास्तव में टोपी और मुसलमानों का मज़ाक उड़ाया जा रहा है और वे समझ नहीं रहे । जो नीतीश अपने को धर्म निरपेक्ष कहते फिर रहे हैं वे ईद पर टोपी पहन कर बधाइयां देते रहे और उधर चार जवान जो कश्मीर में मारे गए उनके लिए नीतीश के पास समय ही नहीं था । यह कौन सी धर्म निरपेक्षता है ? किसे बेवकूफ बनाया जा रहा है ? सोचिये और सोचिये साथ ही समझने की भी बहुत जरूरत है ।

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