एन एच 58 पर कुछ मजदूर काम कर रहे हैं। स्थान मोतीचूर , हरिपुर कलां , रायवाला , देहरादून। हाईवे ब्रिज का निर्माण कार्य चल रहा है। सुबह का समय है। बगल के बगीचे को हाईवे के ठेकेदार द्वारा किराये पर लिया गया है और वहाँ पर उन मजदूरों के रहने के लिए टीन shade तैयार किये गए हैं और शौचालय आदि की स्थायी व्यवस्था की गयी है। सुबह साढ़े आठ बजे के लगभग कुछ मजदूर एक दीवार पर बैठे हैं। उनसे यूं ही बात शुरू करता हूँ और कहता हूँ कि अब उनके न्याय का समय आ गया है और राहुल गाँधी यदि पी एम बने तो उनको हर माह छह हज़ार रुपये देंगे यानि साल में बहत्तर हज़ार। यह सुनते ही उनमें से एक ज्यादा उम्र का मजदूर तत्काल प्रतिक्रिया देता है - नहीं नहीं , अबकी फिर मोदी आएगा। पूछता हूँ - क्यों ? कहता है - क्यों क्या ? मोदी ही आएगा। मोदी काम कर रहा है। पूछता हूँ तो बताता है - अभी थोड़े दिन पहले वह और उसके साथी इलाहाबाद थे और इलाहाबाद में हाई कोर्ट के पास जो हाई वे है उसके निर्माण में उसका ठेकेदार ही काम कर रहा था। उसे बताता हूँ - मैं भी कुछ समय बमरौली रहकर आया हूँ जो इलाहाबाद में है तो बताता है कि वह तो बस्ती का रहने वाला है। कहता है - बस्ती में बीजेपी ही जीतेगी। फिर बताता है - ससुराल बहराइच में है और बहराइच में फ़ोन करके पता लगाया है कि वहाँ भी कमल का फूल ही जीतेगा। फिर बताता है - मेरे कई रिश्तेदार शाहजहां पुर में हैं और सब बता रहे हैं कि शाहजहांपुर में भी बीजेपी ही जीतेगी। उससे उसके अपने इलाके बस्ती के बारे में पूछता हूँ - कैसे पता कर लेते हो ? कहता है कि हर चुनाव में आखिरी घंटे में वोट डालने जाते हैं हम लोग। और इस बार भी गए। कमल के फूल का बटन कला हो चूका था और ढीला भी और अंदर को धंस गया था। बाकि बटन साफ सुथरे थे। हमारे यहां नब्बे प्रतिशत वोट बीजेपी को पड़ा है। मैं उसके इस ज्ञान पर हैरान हो जाता हूँ कि किस तरह वह यह पता लगा लेता है कि वोट कहाँ पड़ा है। पूछता हूँ - गत बंधन तो बहुत मजबूत है ? कहता है - नहीं नहीं। गठबंधन कुछ नहीं है। क्यों ? क्यों क्या ? कमल खिलेगा। क्यों भाई ? काम किया है। क्या काम किया है ? काम ? गैस दिया है , बिजली दी है , मकान दे रहा है , आयुष्मान योजना दिया है। हमारे इलाके में आकर देखो। लोग कितने खुश हैं। अकाउंट खुलवाया है। शौचालय बनवाया है। महिलाओं को कितनी सहूलियत है। उनसे पूछकर देखो। मुस्लिम महिलाएं जो तीन तलाक़ से परेशां रहती थीं वो भी खुश हैं। सुनो , घर से आदमी भी निकलेगा और औरत भी। वोट आदमी चाहे जहां डाले पर औरत कमल का फूल ही दबाएंगी। वह और उसके साथी आत्मविश्वास से लबरेज हैं। यहां यह बताना बहुत जरूरी है कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 34 . 11 प्रतिशत वोट मिला था , बी एस पी को 27 . 06 और सपा को 30 . 91 और कांग्रेस को 02 . 64 प्रतिशत। अब यदि यहाँ पर गठबंधन के वोट को मिलाया जाए तो यह 57 . 97 है। ऐसे में बीजेपी के 34 . 11 प्रतिशत वोट इतने कम हैं कि बीजेपी का पिछड़ना तय है। मगर इस मजदूर का क्या करूँ जो कहता है बीजेपी जीतेगी। यदि सत्तावन प्रतिशत वोट पाने वाला गठबंधन उसकी निगाह में हार रहा है तो फिर यह गठबंधन किसलिए है ? क्या गठबंधन का वोट आपस में स्थानांतरित नहीं हो पा रहा है जो इस मजदूर के शब्दों से पता चलता है। यदि ऐसा है तो पिछले चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में डुमरियागंज , आज़म गढ़ , फिरोजा बाद , मैनपुरी और बदायूं , ये पांच सीट पर ही सत्तावन प्रतिशत से ज्यादा वोट वाले हैं जहां वर्तमान गठबंधन को इतनी बढ़त मिली थी। बाकि सभी सीटों पर गठबंधन का वोट इससे कम है तो वहाँ क्या स्थिति होगी यह सोचने लायक बात है। हालांकि सिर्फ बस्ती में ही बीजेपी जीती थी और बाकि चार सीटों पर सपा की जीत हुई थी। सो सोचने लायक बात है कि आगे क्या होने वाला है। थोड़ी देर में वे खाना खाने चले जाते हैं और मैं अपने काम पर लग जाते हूँ। आज रविवार का दिन है।
एक सब्जी वाला है। रोज आता था। कुछ दिन से गायब है। बता गया था कि बदायूं जा रहा है मोदी को वोट डालेगा। पूछा - क्यों ? बोला - मेरा और मेरे भाई का मकान बन रहा है। पौने चार लाख रूपया हम दोनों के अकाउंट में आ गया है। हमारे लिए तो मोदी ही ठीक है।
स्कूल में हूँ। एक महिला स्कूल में आती है। बच्चे को छुट्टी चाहिए। कहाँ जाना है ? बिहार जाना है। क्यों ? बारह तारिख को चुनाव है मोदी जी को वोट डालना है। सभी लोग एक दूसरे का मुँह देखने लगते हैं। कुछ और काम भी होगा ? हाँ , शादी भी है। कब है शादी ? उन्नीस को शादी है। पर जल्दी जा रहे हैं ताकि मोदी जी को वोट डाल सकें। महिला बाहर चली जाती है और हमसे हँसे बिना नहीं रहा जाता। एक और मजदूर कुछ दिन पूर्व मिला था जो बताकर बिहार जा रहा था कि मोदी जी को वोट डालने जा रहा है। एक स्कूल में कुछ बच्चे कम आ रहे हैं। यू पी और बिहार के ही हैं। वोट डालने गए हैं। बताकर गए हैं।
वोट डालने के प्रति इतनी उत्सुकता देखकर हैरान हूँ। गरीब आदमी क्या इस तरह भी वोट डालने जाता है ? खुद से पूछता हूँ और खुद को यह जवाब देकर शांत हो जाता हूँ कि 23 मई को देखते है क्या होता है। सोचें , क्या होने वाला है ?
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