ये पत्रकार चाहे एन डी टी वी के हों या आज तक के हों या ए बी पी न्यूज़ के हों ये सब मिलकर मोदी के खिलाफ हैं और ये ऐसी हरकतें जानबूझकर करते हैं जिनसे विवाद पैदा हो । आपको याद होगा राजदीप सरदेसाई जिसे न्यूयॉर्क में मोदी के प्रोग्राम के दौरान लोगों ने पीटा था जब ये वहां जाकर विवादित सवाल पूछा था । अभी दो दिन पहले ए बी पी न्यूज़ की एंकर संस्कृति मंत्री महेश शर्मा के बयान कि - छह हज़ार लोगों को प्राइज मिले लेकिन छत्तीस ने ही लौटाए आप समझ जाएँ कि ये लोग कौन हैं , को विवादित बयान बता रही थी। इसमें विवादित क्या था ? उन्होंने कहा कि छत्तीस लोगों ने सम्मान लौटाए मतलब ये छत्तीस लोग कुछ ख़ास लोग थे जो सरकारी कृपा पात्र थे । लेकिन इस बात को विवादित कह दिया गया । यह तो नहीं कह सकते कि ये पत्र कार बेवकूफ हैं लेकिन ये बेचारे अपना नमक अदा करते हैं । इसलिए ये पत्र कार जो वर्षों से कांग्रेस की कृपा पर पल रहे हैं अब परेशान हैं । ये कहा करते हैं कि इन्होने ही मोदी को बड़ा बनाया इनसे पूछो मोदी के प्रचार व उनकी रैलियों के दौरान मिले विज्ञापनों से तुम्हें कितनी कमाई हुई ? वो लौटाओगे क्या ?
रविवार, 8 नवंबर 2015
बरसों बीत गए हैं बिहार को विकास को तरसे हुए। पंद्रह साल लालू और राबड़ी के राज ने इसे तबाह किया । नीतीश अच्छे हैं मगर गंगा अगर नाले में गोता लगा ले तो गंगा नहीं रह जाती । पप्पू किसी को कुछ नहीं दे सकता क्योंकि उसके पास कुछ है ही नहीं । बिहार के पास एक मौका आया था बिहार को उस स्तर पर पहुंचाने का जहां पहुँचने के बाद किसी बिहारी को बिहार से बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती लेकिन बिहारियों ने वह मौका खो दिया । एक नेता , सजायाफ्ता नेता , लालू प्रसाद यादव जिसे चारा चोरी में जेल हुई उसे ही उन्होंने उसे ही अपना नेता बना दिया । यह वही बिहार है जहां से सबसे ज्यादा आई ए एस बनते हैं लेकिन यही वह बिहार हैं जहां के हज़ारों बिहारी देश के कोने कोने में जाकर कहीं रिक्शा खींचते हैं कहीं मजदूरी करते हैं कहीं मार खाते हैं । आज शिवसेना और उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे नीतीश को बधाई दे रहे हैं ये वही लोग हैं जो मोदी के सताए हुए हैं। क्या ये नीतीश को आश्वासन देंगे कि अब ये बिहारियों की पिटाई नहीं करेंगे । नहीं दे सकते । राज ठाकरे ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरी मोदी जी से अपेक्षा है कि वे बिहार और यू पी को सुधार दें । लेकिन आज मोदी की हार पर वह बहुत खुश होगा क्योंकि मोदी ने इन सबके अहंकार को चूर किया है । आडवाणी जी का जन्मदिवस है वे तो खुश होंगे ही । शत्रुघ्न सिन्हा खुश होंगे जिन्होंने नीतीश की हार की संभावना जताने वाले एक पत्रकार के सवाल पर कहा था - खामोश । आर के सिंह भी ख़ुश होंगे सुषमा स्वराज से लेकर बहुतेरे लोग खुश होंगे जिनके बस में बी जे पी को सत्ता में लाना तो नहीं था लेकिन मोदी को रोकना जरूर था । इन्हें नहीं पता कि मोदी न होते तो आज बी जे पी सत्ता में नहीं होती । एक लचर सरकार होती । लेकिन खैर , बिहारियों को लालू और उनके लाल मुबारक । उम्मीद है अब सारे बिहारी वापस लौटने लगेंगे । क्योंकि वहाँ उनका मसीहा सजायाफ्ता लालू यादव जीत गया है सबसे बड़ी पार्टी का पुरोधा बन गया है। पुनः मुबारक ।
सोमवार, 7 सितंबर 2015
आदरणीया स्मृति ईरानी जी ! सादर प्रणाम , आपसे एक निवेदन है कि टी वी चैनल्स पर सन्नी लियोनी का एक कॉन्डोम का विज्ञापन आता है जो अत्यंत अश्लील है और इसकी भाषा भी अत्यंत अश्लील है । यह विज्ञापन दिन भर बहुत बार आता है और लगभग हर चैनल पर आता है। आपसे अनुरोध है कि कृपया इसे बंद करवाने की कृपा करें । परिवार के साथ बैठना ही भारी हो जाता है जहां बच्चे भी होते हैं और माता पिता भी । आखिर कितने बार चैनल बदला जाये और कितनी बार उठकर बाहर जाय जाए । विनम्र अनुरोध है कि यह विज्ञापन बंद करवाने की कृपा करें । यदि अश्लील मूवी के प्रसारण में तमाम तरह की पाबंदियां है तो फिर इस तरह के विज्ञापनों के लिए पाबंदियां क्यों नहीं हैं जिनसे परिवार की शर्म हया तार तार हो रही है । आप की सरकार से ही उम्मीद है कि आप ही इसे बंद करवा सकते हैं । धन्यवाद ।
आदरणीय रविशंकर प्रसाद जी ! सादर प्रणाम , आपसे एक निवेदन है कि टी वी चैनल्स पर सन्नी लियोनी का एक कॉन्डोम का विज्ञापन आता है जो अत्यंत अश्लील है और इसकी भाषा भी अत्यंत अश्लील है । यह विज्ञापन दिन भर बहुत बार आता है और लगभग हर चैनल पर आता है। आपसे अनुरोध है कि कृपया इसे बंद करवाने की कृपा करें । परिवार के साथ बैठना ही भारी हो जाता है जहां बच्चे भी होते हैं और माता पिता भी । आखिर कितने बार चैनल बदला जाये और कितनी बार उठकर बाहर जाय जाए । विनम्र अनुरोध है कि यह विज्ञापन बंद करवाने की कृपा करें । यदि अश्लील मूवी के प्रसारण में तमाम तरह की पाबंदियां है तो फिर इस तरह के विज्ञापनों के लिए पाबंदियां क्यों नहीं हैं जिनसे परिवार की शर्म हया तार तार हो रही है । आपसे ही उम्मीद है कि आप ही इसे बंद करवा सकते हैं । धन्यवाद ।
आदरणीय मोदी जी ! सादर प्रणाम , आपसे एक निवेदन है कि टी वी चैनल्स पर सन्नी लियोनी का एक कॉन्डोम का विज्ञापन आता है जो अत्यंत अश्लील है और इसकी भाषा भी अत्यंत अश्लील है । यह विज्ञापन दिन भर बहुत बार आता है और लगभग हर चैनल पर आता है। आपसे अनुरोध है कि कृपया इसे बंद करवाने की कृपा करें । परिवार के साथ बैठना ही भारी हो जाता है जहां बच्चे भी होते हैं और माता पिता भी । आखिर कितने बार चैनल बदला जाये और कितनी बार उठकर बाहर जाय जाए । विनम्र अनुरोध है कि यह विज्ञापन बंद करवाने की कृपा करें । यदि अश्लील मूवी के प्रसारण में तमाम तरह की पाबंदियां है तो फिर इस तरह के विज्ञापनों के लिए पाबंदियां क्यों नहीं हैं जिनसे परिवार की शर्म हया तार तार हो रही है । आपसे ही उम्मीद है कि आप ही इसे बंद करवा सकते हैं । धन्यवाद ।
शुक्रवार, 4 सितंबर 2015
शनिवार, 15 अगस्त 2015
यह मेरा छोटा भाई है जिसका नाम महेंद्र वल्लभ है । आज से पंद्रह साल पहले 21 -09 -2001 को घर से अन्यमनस्क स्थिति में चला गया था । इसकी इन दोनों फोटो में दस साल का अंतर है और दोनों में पहले वाली फोटो तीस साल पहले की और बाद वाली फोटो आज से सत्रह वर्ष पूर्व की है । अगर आप को इस बारे में पता चले तो कृपया निम्नलिखित नम्बरों पर सम्पर्क करने की कृपा करेंगे । आपका आभारी रहूंगा ।
द्विजेन्द्र वल्लभ शर्मा , हरिपुर कलां , देहरादून
फ़ोन नंबर - 9359768881 , 09458950605
द्विजेन्द्र वल्लभ शर्मा , हरिपुर कलां , देहरादून
फ़ोन नंबर - 9359768881 , 09458950605
गुरुवार, 30 जुलाई 2015
याकूब मेमन की फांसी पर बहुत से राजनेता रो रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि ये लोग कैसे आतंकवाद के खिलाफ लड़ पाएंगे । इन लोगों को कौन समझाये कि यदि हमारी न्याय व्यवस्था उस तरह चुस्त दुरस्त होती जिस प्रकार से याकूब मेमन को फांसी देने से पहले राजनाथ सिंह जी की सक्रियता और उसके बाद रात में कोर्ट का चलना और तमाम उन औपचारिकताओं को पूरा करना ताकि हमारे देश में याकूब का कोई समर्थक कल को कोई अंगुली न उठा सकें , आदि तरीकों में यह सक्रियता देखने में आई उस प्रकार की न्याय व्यवस्था होती तो शायद हाफिज सईद कभी का फांसी पा चुका होता और फिर उसे छुड़ाने के लिए कोई कंधार काण्ड न होता और जब यह हाफिज सईद को हमें न छोड़ना पड़ता तो २६/११ न होता। लेकिन इस वक्त ऐसे तमाम लोग कोई एक प्रतिक्रिया उन लोगों के लिए नहीं दे रहे हैं जो उन धमाकों में मारे गए थे। जाके पैर न परी बिवाई वो क्या जाने पीर पराई । खैर , हैरानी है कि ये लोग न्याय व्यवस्था पर भी सवाल उठा रहे हैं । देशद्रोह पर न कोई माफ़ी , न विलम्ब । शास्त्र कहते हैं - सतयुग तब शुरू होता है जब न्याय व्यवस्था दंड का आश्रय लेती है । इसलिए दंड में कोई देर नहीं ।
बुधवार, 22 जुलाई 2015
वह निर्भया थी । आज से ढाई साल पहले , सोलह दिसंबर की रात । मुनिरका दिल्ली से एक बस में अपने मित्र के साथ एक बस में चढ़ी थी और उस बस में उन दरिंदों ने उसे मार डाला था । अपने वहशियाना अंदाज में । मैं सोचता रहा , अगर उस दिन कोई उस बस में हो रही वारदात को देख लेता तो शायद बचा लेता । उसके मित्र ने कोशिश की थी लेकिन कुछ नहीं हुआ । खैर , वह मर गई थी । हमने देश भर में मोमबत्तियां जलाई और दिल्ली में बहुत आक्रोश पनपा । हर बार की तरह । खैर , सबने पुलिस को गालियां दी । प्रशासन की गलतियों का जिक्र हुआ । फ़ास्ट ट्रक कोर्ट और न जाने क्या क्या क्या ।
तब से अब तक कई निर्भया मर चुकी हैं । सबकी चर्चा नहीं हो पाई । हो भी नहीं सकती । सबके लिए कैंडल भी नहीं जलायी जा सकती । सबके लिए आक्रोश पनपना चाहिए पनपता भी है पर दिल में ही दब कर रह जाता है गुस्सा । आखिर कोई साल के तीन सौ पैंसठ दिन तक कैसे सड़क पर आंदोलन कर सकता है ।
वक्त काफी बीत गया है । अब आनंद पर्वत दिल्ली में फिर एक और निर्भया मारी गयी है । नाम मीनाक्षी । कारण लगभग वही । थोड़ा बदला सा । इसके साथ यह समस्या नहीं थी कि कोई इसे देख लेता तो बचा लेता ।इसके साथ यानी आसपास तो बहुत थे पर साथ कोई नहीं था । पुलिस क्या चप्पे चप्पे पर हो सकती है ? संभव नहीं । पडोसी सबसे बड़ा मित्र होता है । लेकिन यहाँ तो तीन घर छोड़कर ही दुश्मन बैठा था । और पडोसी ? कोई नहीं था । पडोसी कोई नहीं था । हाँ , आसपास बहुत से लोग रहते थे । सब मूक से । हम एक प्रार्थना करते हैं अक्सर - मूकं करोति वाचालं पङ्गुं लंघयते गिरिम् । यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्दमाधवम् । । यानि हम उस ईश्वर को प्रणाम करते हैं जो गूंगे को बोलना सीखा दे लंगड़े को पहाड़ पार करना सीखा दे । लेकिन मीनाक्षी के आसपास जो थे वे सब गूंगे ही बने रहे । हाथ पैर होते हुए भी लंगड़े से ही रहे । अपाहिज । क्या अपाहिज होना सिर्फ शरीर से होता है ? नहीं , मन अपाहिज हो तो ? तो भी अपाहिज ही तो है । वे सब चुप चाप देखते रहे और मीनाक्षी मर गई । एक पडोसी के घर घुसी भी जान बचाने के लिए लेकिन वहां शरण न पा सकी वह । क्योंकि उस घर में भी अपाहिज ही रहते थे । मन से अपाहिज । किसको कोसेंगे ? पुलिस को ? कोसिये । आक्रोश जताइए । दिल्ली के सी एम ने एक विज्ञापन जारी किया है । लोगों से कहा है कि वे अब चुप न रहें । इनके सामने जंतर मंतर पर वह गजेन्द्र चौहान मर गया था पेड़ पर लटक कर । उन्होंने कहा है देश के पी एम से कि आनंद पर्वत की उस गली में पुलिस की व्यवस्था कर दी जाए । क्या अगला अपराध भी उसी गली में होगा । और कहीं नहीं ? बाकि दिल्ली का क्या होगा ? खैर ,
आइये एक बार फिर से मोमबत्ती जलाएं , लेकिन इस बार मीनाक्षी के लिए नहीं बल्कि उन लोगों की उस मरी हुई आत्मा के लिए जिसने मीनाक्षी को सामने सामे मर जाने दिया । उनके उस अपाहिज मन और साहस के लिए जिसके कारण उनकी उस कायर और मृत आत्मा में एक बार भी उसे बचाने की इच्छा नहीं जागी । मीनाक्षी के लिए तो हम फिर से अगली बार दिया जला लेंगे ।
तब से अब तक कई निर्भया मर चुकी हैं । सबकी चर्चा नहीं हो पाई । हो भी नहीं सकती । सबके लिए कैंडल भी नहीं जलायी जा सकती । सबके लिए आक्रोश पनपना चाहिए पनपता भी है पर दिल में ही दब कर रह जाता है गुस्सा । आखिर कोई साल के तीन सौ पैंसठ दिन तक कैसे सड़क पर आंदोलन कर सकता है ।
वक्त काफी बीत गया है । अब आनंद पर्वत दिल्ली में फिर एक और निर्भया मारी गयी है । नाम मीनाक्षी । कारण लगभग वही । थोड़ा बदला सा । इसके साथ यह समस्या नहीं थी कि कोई इसे देख लेता तो बचा लेता ।इसके साथ यानी आसपास तो बहुत थे पर साथ कोई नहीं था । पुलिस क्या चप्पे चप्पे पर हो सकती है ? संभव नहीं । पडोसी सबसे बड़ा मित्र होता है । लेकिन यहाँ तो तीन घर छोड़कर ही दुश्मन बैठा था । और पडोसी ? कोई नहीं था । पडोसी कोई नहीं था । हाँ , आसपास बहुत से लोग रहते थे । सब मूक से । हम एक प्रार्थना करते हैं अक्सर - मूकं करोति वाचालं पङ्गुं लंघयते गिरिम् । यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्दमाधवम् । । यानि हम उस ईश्वर को प्रणाम करते हैं जो गूंगे को बोलना सीखा दे लंगड़े को पहाड़ पार करना सीखा दे । लेकिन मीनाक्षी के आसपास जो थे वे सब गूंगे ही बने रहे । हाथ पैर होते हुए भी लंगड़े से ही रहे । अपाहिज । क्या अपाहिज होना सिर्फ शरीर से होता है ? नहीं , मन अपाहिज हो तो ? तो भी अपाहिज ही तो है । वे सब चुप चाप देखते रहे और मीनाक्षी मर गई । एक पडोसी के घर घुसी भी जान बचाने के लिए लेकिन वहां शरण न पा सकी वह । क्योंकि उस घर में भी अपाहिज ही रहते थे । मन से अपाहिज । किसको कोसेंगे ? पुलिस को ? कोसिये । आक्रोश जताइए । दिल्ली के सी एम ने एक विज्ञापन जारी किया है । लोगों से कहा है कि वे अब चुप न रहें । इनके सामने जंतर मंतर पर वह गजेन्द्र चौहान मर गया था पेड़ पर लटक कर । उन्होंने कहा है देश के पी एम से कि आनंद पर्वत की उस गली में पुलिस की व्यवस्था कर दी जाए । क्या अगला अपराध भी उसी गली में होगा । और कहीं नहीं ? बाकि दिल्ली का क्या होगा ? खैर ,
आइये एक बार फिर से मोमबत्ती जलाएं , लेकिन इस बार मीनाक्षी के लिए नहीं बल्कि उन लोगों की उस मरी हुई आत्मा के लिए जिसने मीनाक्षी को सामने सामे मर जाने दिया । उनके उस अपाहिज मन और साहस के लिए जिसके कारण उनकी उस कायर और मृत आत्मा में एक बार भी उसे बचाने की इच्छा नहीं जागी । मीनाक्षी के लिए तो हम फिर से अगली बार दिया जला लेंगे ।
सोमवार, 30 मार्च 2015
मैं अक्सर सोचा करता था कि राजनीति में क्यों नहीं एक परीक्षा की व्यवस्था है जिससे पढ़े लिखे लोग राजनीति में आएं और देश को एक स्वस्थ माहौल मिले , देश में सुधार की लहर बहे और विकास हो । गुंडे मवालियो से देश को मुक्ति मिले । इससे देश में जो लोग जनता को बेवकूफ बना रहे हैं वे ऐसा नहीं कर पाएंगे क्योंकि पढ़े लिखे लोगों की पार्टी उन्हें ऐसा नहीं करने देगी । इन्हीं सब उम्मीदों को पूरा करने के लिए आई थी आम आदमी पार्टी । मगर अगर बहुत सारे हाई प्रोफाइल पढ़े लिखे लोग एक ही पार्टी में आ जाएँ तो पार्टी की क्या दुर्गति हो सकती है यह मैंने कभी सोचा नहीं था । एक ही रसोई में इतने सारे रसोईये खिचड़ी पका रहे हैं और सब अपना अपना मसाला डाल रहे हैं और खिचड़ी का स्वाद कैसा होगा इसकी कोई चिंता ही नहीं है। ईश्वर दोबारा ऐसे पढ़े लिखे लोगों को सत्ता न दे । सुलझे लोगों को ही सत्ता दे वे चाहे पढ़े लिखे हों या न हों ।
मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015
सबसे पहले आप को बधाई । लेकिन बात सही है , सोचिये कब तक फ्री पानी , सस्ती बिजली , फ्री wifi मिलता है , कब तक १५ लाख कैमरा मिलते हैं. यह वास्तव में उस निर्दलीय उम्मीदवार के चुनाव लड़ने की ताकत को भी ख़त्म कर देता है जो ऐसी बातें नहीं कर सकता क्योंकि उसके पास ऐसी बातें करने के लिए कोई मौका नहीं । कांग्रेस ने इस फ्री फ्री के चक्कर में ही खुद भी खाया और खिलाया भी और जब चुनाव आये तो फ्री साड़ी कम्बल आदि बांटे और देश की दुर्गति कर दी । क्या यह एक तरह की घूस देने की डील नहीं है कि जब मैं आऊंगा तो यह सब दूंगा जब मेरे पास पैसे और सत्ता आ जाएगी इसलिए मुझे वोट दे दो ।
सोमवार, 9 फ़रवरी 2015
सर नमस्कार , हरिद्वार में श्रावण के माह में शिवरात्रि काल में पूरा एक माह तक २ करोड़ से ज्यादा शिव भक्त गंगाजल लेकर नीलकंठ पौड़ी गढ़वाल पैदल ही जाते है। नील कंठ शिव जी का मंदिर है । व्यवस्था का यह आलम है कि लोगों की आस्था भी डोल जाए लेकिन फिर भी २ करोड़ लोग आते हैं । यह संख्या निरंतर बढ़ रही है । आपसे अनुरोध है कि इस समबन्ध में भी कुछ करने की कृपा करेंगे। राज्य सरकार से ज्यादा उम्मीद नहीं है ।
सर नमस्कार , डेल्ही मेट्रो stations की तर्ज पर यदि भारत में तमाम मेट्रो स्टेशन्स बनाये जाएँ जिसमे उस स्टेशन्स में सिर्फ यात्रा करने वाले ही घुसें वह भी टिकट के साथ , तो इससे ट्रेनों में लाखों लोग जो फ्री घूमते हैं उन पर नकेल लगेगी । एयर पोर्ट पर भी ऐसी ही व्यवस्था होती है । साथ ही जहां पर एक लेन है जैसे सहारनपुर और मेरठ के बीच या हरिद्वार और देहरादून के बीच और इसी प्रकार अन्य बहुत सी जगह , वहां पर डबल लेन बनायी जानी चाहिए ताकि आवागमन सुकर हो सके । ट्रैन यातायात का सबसे सुखद साधन है । एक बात और , न जाने क्यों देरी हो रही है , देश में मानव रहित फाटक को मानव सहित किया जाना चाहिए तथा जहां पर फाटक है और संभव है वहां पर पुल बन सकता है तो बनाया जाना चाहिए । देश में ग्यारह हजार से ज्यादा ऐसे रेलवे क्रासिंग हैं जिन पर काम किया जाना चाहिए। कृपया ध्यान देंगे । आये दिन यहां पर अनेक लोगों की मृत्यु होती रहती है ।
रविवार, 8 फ़रवरी 2015
सर नमस्कार , आपका बजट आ रहा है , आप चाहें तो बेटियों के पक्ष में एक घोषणा कर सकते हैं। यदि किसी के घर में बेटी जन्म लेती है और यदि वह उस परिवार की प्रथम या द्वितीय संतान के रुप में है तो आप उसके नाम से सरकार की तरफ से एक ऍफ़ डी जमा करा सकते हैं। यह ऍफ़ डी उसे तब मिले जब वह बालिग हो जाए बशर्ते कि उसका विवाह १८ या २१ वर्ष के बाद हो तभी यह पैसा उसे मिले. इससे बेटी के जन्म के समय एक उत्सव का माहौल बनेगा और परिवार को भी लगेगा कि लक्ष्मी आई है धन लायी है। आप गरीब वर्ग के लिए पांच हजार रुपये भी जारी कर सकते हैं तत्काल। ताकि वे लोग तत्काल उत्सव भी मना सकें । या उसके प्रथम जन्म दिवस यानि एक वर्ष बाद के लिए यह पांच हजार रुपया उन्हें ऍफ़ डी के रूप में दिया जा सकता है ताकि वे लोग एक वर्ष बाद प्रथम जन्म दिवस मना सकें । इससे वे लोग बच्ची के प्रति सहानुभूति का भाव रखेंगे और नजरिया बदलेगा ।
सर नमस्कार , यह बताएं कि यदि बीजेपी को हमने वोट न दिया होता , या जिन्होनें वोट नहीं दिया है और आपने आदर्श गाँव योजना चला रखी है , तो निश्चित ही भाजपा के सांसद अपने वोट वाले क्षेत्र को ही आदर्श गाँव बनाएंगे तो फिर बाकी गाँव तो छूट ही जाएंगे तो फिर आपकी सरकार कैसे सबकी सरकार हो गयी ? ऐसे में हम क्या करें.
सर , एक सुझाव भेज रहा हूँ। आने वाले बजट में यदि आप उन लोगों को जिनकी बेटियां हैं , कुछ अलग से टैक्स रिबेट देंगे तो यह लड़की के लिए व आपके बेटी बचाओ कार्यक्रम के लिए उपयोगी होगा। एक और सुझाव देना चाहूंगा कि यदि लड़की के जन्म पर उसके लिए एक ऍफ़ डी जैसी राशि उसके अकाउंट में डाली जाये जो ऍफ़ डी के रूप में ही हो और यह लड़की के इक्कीस साल के होने पर ही mature होकर माता पिता को मिले तो इससे बेटी बचाओ कार्यक्रम में लाभदायक होगा।
शुक्रवार, 23 जनवरी 2015
आप पार्टी के लोग जगदीश मुखी या सतीश उपाध्याय के साथ केजरीवाल के पोस्टर छाप कर यह साबित करने की कोशिश कर रहे थे कि जगदीश मुखी या सतीश उपाध्याय ही बी जे पी के अगले सी एम होंगे इससे वे अपने आप को मजबूत दिखाने की कोशिश कर रहे थे । इसीलिये बी जे पी को किरण बेदी को उतारना पड़ा । और अब आप पस्त है । यदि आप यह गलती न करती और अभी थोड़ा चुप रहती और नामांकन तक चुप रहती तो फायदे में रहती । साथ ही यदि वह आरोप के चक्कर में न उलझती तो नामांकन के बाद यह सब करके फायदे में रह सकती थी । अब नहीं ।
मंगलवार, 13 जनवरी 2015
आदरणीय प्रधानमन्त्री जी ! सादर प्रणाम ,
एल ई डी बल्व से बिजली बचत होती है लेकिन महंगा होता है । हर कोई नहीं खरीद पाता। यदि बिजली विभाग ही किश्तों पर यह उपलब्ध करा दे तो लोगों के लिए खरीदना आसान हो जाएगा । इसकी कीमत लोगों के बिजली बिल में दस रुपये प्रतिमाह बढ़ाकर तब तक लिए जाएँ जब तक कीमत न वसूली जा सके । बिजली विभाग ही consumer के अकाउंट में इसे जोड़ देगा । इसका प्रचार किया जाए । तेजी ले लाभ होगा । धन्य वाद ।
शनिवार, 10 जनवरी 2015
आदरणीय प्रधानमन्त्री जी ! सादर प्रणाम पूर्वक निवेदन करना चाहता हूँ कि आपके द्वारा प्रस्तुत की गयी आदर्श ग्राम योजना का यह तरीका हमें पसंद नहीं आया है क्योंकि इससे बाकी गाँवों के साथ अन्याय सा होता प्रतीत होता है । इसके बजाय यदि आप साथ साथ एक और योजना भी यदि लागू कर देते कि यदि कोई सांसद अपनी सांसद निधि को दो चार माह में ही खर्च कर देता है और उसका ठीक तरीके से प्रयोग किये जाने का प्रमाण सरकार के पास प्रस्तुत कर देता है तो उसे उन प्रमाणों के आधार पर या उस विषय पर सही जांच करके या डी एम आदि के द्वारा सही जांच करवाकर यह पाये जाने पर कि वास्तव में वह पैसे सही ढंग से प्रयोग कर दिए गए हैं उस सांसद को दोबारा पैसा जारी करवा दिया जाए ताकि वह और भी विकास कार्य करवा सके । और यदि कोई पुनः दो चार माह में वह पैसा फिर से खर्च कर दे तो फिर से उस पर जांच करवाकर सही पाये जाने पर उसे पुनः पैसा जारी करवा दिया जाए । इससे यह होगा कि विकास कार्य में तेजी आएगी और सांसद को यह नहीं सोचना पड़ेगा कि वह कहाँ पैसा लगाए और किस क्षेत्र को छोड़े क्योंकि आजकल सांसद भी अपनी अपनी पसंद के अनुसार या जहां उनके अपने वोटर होते हैं उसके अनुसार ही विकास कार्य कर देते हैं और इससे कुछ लोग तो खुश हो जाते हैं और कुछ लोगों को लगता है कि कुछ कार्य नही हुआ क्योंकि उनके क्षेत्र में काम हो नहीं पाता । ऐसा राज्यों में विधायकों के साथ भी किया जा सकता है । आदर्श गाँव योजना से आप यदि दो तीन हजार गाँव को आदर्श गाँव बना भी पाये तो इस देश में तो छह लाख गाँव हैं बाकी गाँवों का क्या होगा । अतः यदि सांसद या विधायक के पास फंडिंग की कमी नहीं होगी तो वह भी तेजी से काम कर सकेंगे । इससे आपकी शौचालय बनाने की योजना पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा और तेजी से यह काम होगा वर्ना हर सांसद या विधायक के अपने स्थानीय नेता आदि भी होते हैं जो जनता से सीधे जुड़े होते हैं और वोट दिलाने में मदद करते हैं वे भी सांसद और विधायकों पर दबाव डालते हैं कि उनके क्षेत्र में काम कराया जाए फिर सांसद विधायक कैसे सब तरफ काम करवा पाएंगे , यह सोचना भी जरूरी है । अतः कृपया ध्यान देंगे ऐसी उम्मीद है । धन्यवाद ।
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