उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा में मारे गए लोगों के प्रति हार्दिक श्रद्धांजलि - ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे और उनके परिवार जनों को इस दुःख को सहने की शक्ति दे । दुःख की इस घड़ी में हम सभी ह्रदय से उनके साथ हैं । -
वासांसि जीर्णाणि यथा विहाय नवानि संयाति नवानि देही ।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही ॥
अर्थात जिस प्रकार से मनुष्य पुराने वस्त्र को त्यागकर नए वस्त्र को धारण करता है उसी प्रकार से आत्मा भी पुराने या कटे फटे मृत शरीर को त्याग कर नया शरीर धारण करता है ॥
न जायते म्रियते व कदाचित
नायं भूत्वा भविता वा न भूयः ।
अजो नित्यः शाश्वतोयं पुरानो,
न हन्यते हन्यमाने शरीरे ।।
यह आत्मा उत्पन्न नहीं होता और कभी मरता भी नहीं,
यह होकर फिर कभी नहीं होता ।
पुराणों में कथित यह आत्मा अज है अर्थात कभी उत्पन्न नहीं होने वाला है , नित्य है शाश्वत है अर्थात अनादि काल से अनंत काल तक है ।
यह मारे जाने वाले शरीर में कभी मारा भी नहीं जाता ॥
वासांसि जीर्णाणि यथा विहाय नवानि संयाति नवानि देही ।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही ॥
अर्थात जिस प्रकार से मनुष्य पुराने वस्त्र को त्यागकर नए वस्त्र को धारण करता है उसी प्रकार से आत्मा भी पुराने या कटे फटे मृत शरीर को त्याग कर नया शरीर धारण करता है ॥
न जायते म्रियते व कदाचित
नायं भूत्वा भविता वा न भूयः ।
अजो नित्यः शाश्वतोयं पुरानो,
न हन्यते हन्यमाने शरीरे ।।
यह आत्मा उत्पन्न नहीं होता और कभी मरता भी नहीं,
यह होकर फिर कभी नहीं होता ।
पुराणों में कथित यह आत्मा अज है अर्थात कभी उत्पन्न नहीं होने वाला है , नित्य है शाश्वत है अर्थात अनादि काल से अनंत काल तक है ।
यह मारे जाने वाले शरीर में कभी मारा भी नहीं जाता ॥
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