तो अब तुम्हें मैग्सैसे पुरस्कार मिल गया है। खुश तो बहुत होंगे तुम। तुम्हारे खुश होने का एक कारण यह भी होना चाहिए कि आज फिर मैं तुम्हारे लिए लिख रहा हूँ। मैं , हाँ , नौ बज गए क्या ? यही पूछा करता था मैं अक्सर रात को। मुझे रोज रात को तुम्हारे इस प्राइम टाइम का इंतजार रहा करता था। तुम्हारे कहने का अंदाज बिलकुल अलग था। और खास बात , कि , तुम्हारे प्राइम टाइम में सब कुछ साफ साफ सुनाई देता था। कोई हल्ला नहीं , शोर नहीं।
मगर 2014 के बाद लगा तुम बिलकुल बदल गए थे। मैंने एक बार तुम्हें कहा भी , बताया भी , नौ बज गए क्या ? अपनी आदत के बारे में बताया था। मगर
मगर 2014 के बाद लगा तुम बिलकुल बदल गए थे। मैंने एक बार तुम्हें कहा भी , बताया भी , नौ बज गए क्या ? अपनी आदत के बारे में बताया था। मगर
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