नागरिकता बिल पास हो गया है और इमरान खान परेशां हो उठे हैं। साथ में विपक्ष के कुछ दल भी। ये विपक्ष इसलिए परेशां है क्योंकि उसे लगता है कि अमित शाह का फ्लोर मैनेजमेंट कुछ भी कर जाएगा। आखिर अगर सरकार कुछ भी पास करा ले जायेगी तो फिर विपक्ष क्या करेगा। शिवसेना बेवकूफ बनाने की खुशफहमी में बेवकूफी कर गयी। जहां उसके बगैर भी यह बिल पास हो जाता वहां तो समर्थन कर गयी मगर राज्यसभा में ? सोचिये अगर जीत हार का फैसला एक दो वोट से होना होता तो क्या होता ? शिवसेना के वाक् आउट से बिल गिर जाता। वह तो अमित शाह का मैनेजमेंट था कि विपक्ष चित्त है ? विपक्ष को ज्यादा दर्द तो इसलिए ही होगा कि सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चलने वाली कांग्रेस के लिए यह फिर से मुश्किल घडी है। वह क्या करे ? मुस्लिम वोट भी चाहिए मगर सब कुछ तो हाथ से निकला ही जा रहा है। वर्ना कांग्रेस भी समय समय पर नागरिकता देती रही है। जैसे तमिलों को , राजस्थान के पाकिस्तानी हिन्दू और सिखों को। खैर। पर तब कोई समस्या नहीं हुई।
एक समाज सेवी हैं - जॉन दयाल , ईसाई हैं। परेशान हैं कि मुस्लिमों को क्यों नहीं लिया। ईसाईयों को लेने की ख़ुशी भले ही मन के अंदर हो मगर मोदी विरोध कब काम आएगा ? सो मुस्लिमों के लिए परेशां हैं ? बिल में तो पीड़ित अल्पसंख्यकों की बात हैं और वे भी वे जो इन ३ देशों में प्रताड़ित हैं। अब क्या करें।
अब काम की बात करते हैं। कहते हैं कि मोदी वहां से सोचना शुरू करते हैं जहां और लोगों की सोच ख़त्म हो जाती है। अब इमरान परेशां हैं। क्या करेंगे ? बदला लेंगे ? कैसे ? क्या इमरान बदला लेने के लिए ऐसा ही एक बिल पाकिस्तानी संसद में लाएंगे कि जो कोई मुस्लिम हिंदुस्तान में प्रताड़ित हैं वे यदि पाकिस्तान आना चाहते हैं तो आ सकते हैं। मगर यह उन्हें कैसे पता चलेगा कि हिंदुस्तान के मुस्लिम परेशां हैं? क्योंकि वहाँ पाक में तो कोई मुस्लिम शरणार्थी टेंटो में नहीं रह रहे हैं जो हिंदुस्तान से परेशान हों। यहां तो जो मोदी के पी एम बनने पर भी हिंदुस्तान छोड़ने के बात कर रहे थे वे भी अभी तक डटे हुए हैं। जो डरे हुए थे वे नायक सरीखे लोग भी चैन की बंसी बजा रहे हैं। तो इमरान बिल लाएंगे ? यदि लाये तो एक नया खेल हो जाएगा। क्योंकि अगर कोई वहां गया ही नहीं तो यह साबित होगा कि मुस्लिम यहां भारत में आराम से हैं। और यदि गया तो ? तब साबित हो पायेगा कि हाँ उन्हें परेशानी है। पर किसे यह अंदाजा हैं कि मुस्लिम्स यहाँ से प्रताड़ना का बहाना बनाकर वहां जायेगें। क्या वहां कोई टेंट में रहते मुस्लिम किसी ने देखे हैं जो यहां से परेशां होकर वहां गए हों। जिसे भी जरा भी अंदाजा है वह गलत है। कोई नहीं जाएगा और इसलिए यह साबित करेगा कि मुस्लिम्स यहां सुरक्षित हैं। तभी तो वे बिल में मुस्लिम्स को भी शामिल करने की बात कर रहे हैं। अन्यथा क्या उन्हें पाक के मुस्लिम्स को यह संदेश नहीं देना चाहिए था कि यहां न आना। वे भले ही अपने डर की बात करते हों मगर वे डरे हुए नहीं हैं बल्कि आराम से हैं। इसलिए तो सिब्बल गृहमंत्री से बोले कि अब आपसे कोई नहीं डरता तो अमित शाह का जवाब था कि डरना भी नहीं चाहिए। पर कांग्रेस तो मुश्किल में हैं , खुद ही बार बार कहती है कि भाजपा से मुस्लिम्स डरे हुए हैं। अब यहीं कांग्रेस कन्फ्यूज्ड हैं। इधर भी उधर भी। खैर , यदि इमरान खान ने कोई बिल पास न किया तो ? क्या कहेंगे मुस्लिम्स ? जिस इमरान खान पर , पाकिस्तान पर थोड़ा बहुत भरोसा उन कुछ लोगों का होगा जो अभी भी पाक से जुड़े हो सकते हों तो पाक तो बिल लाएगा ही नहीं कि कोई यदि भारत में पीड़ित हैं तो वहां आ सकते हैं , तो इमरान के बिल न लाने से स्वाभाविक तौर पर यहाँ के मुस्लिम्स को यह समझने में देर नहीं लगेगी कि पाकिस्तान उन्हें वहाँ नहीं लेने वाला। इसलिए उनका यह चश्मा भी उतर जाएगा। और यदि पाक , बांग्लादेश व अफगानिस्तान से अल्पसंख्यक ये छह समुदाय के लोग भारत आना शुरू हो गए तो अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इन देश की किरकिरी होनी स्वाभाविक है। पाक , अफगानिस्तान और बांग्ला देश धार्मिक देश हैं और इसलिए वहां पर धार्मिक उत्पीड़न है और इसलिए यह बिल लाना पड़ा है। पिछले पांच साल में पाक व भारत के शहरों में कितने बम विस्फोट हुए हैं ? भारत में लगभग जीरो और पाक में आये दिन लोग बम विस्फोट में मरते लोग इस बात के गवाह हैं कि भारत कितना सुरक्षित है। पचपन से ज्यादा मुस्लिम देशों में क्या कोई देश है जो चीन में उत्पीड़ित मुस्लिमों के लिए अपने दरवाजे खोल सके ? सवाल भारत से किये जाते हैं। क्या भारत के बुद्धिजीवी किसी मुस्लिम देश को लिख पाएंगे कि वह कम से कम मुस्लिम्स के लिए ही CAB लाए। शायद आसानी से नहीं होगा यह काम। इसलिए इमरान के CAB का इतंजार कीजिये और यह साबित होने की प्रतीक्षा कीजिये कि न तो इमरान खान कोई CAB लाने जा रहे हैं और न उनके CAB लाने पर कोई हिंदुस्तानी मुस्लिम पाक जा रहा है क्योंकि मुस्लिम भी जानते हैं कि इससे बेहतर स्थान दुनिया में शायद ही हो जहां मुस्लिम्स सहित सभी धर्मों के लोग आराम से रह सकें। इसलिए पाक के मुस्लिम्स की चिंता न करें , वहाँ वे ठीक हैं। यदि इस्लामिक देश में ही मुस्लिम ठीक नहीं हैं तो कहाँ ठीक होंगे ? हाँ , अफगानिस्तान और बांग्ला देश के पी एम ने चुप रहकर जो समझदारी दिखाई है इसके लिए वे साधुवाद के पात्र हैं।
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