आजकल एक नया चलन शुरू हुआ है कि आर्मी वालों को गाली दो । अभी कन्हैया ने गाली दी थी और अब एक नयी छात्रा जो जे एन यू की ही है , उसने भी कहा है कि आर्मी वाले देश के लिए नहीं बल्कि नेताओं के लिए मरते हैं । यह कुल मिलाकर देश में सेना को उत्तेजित करके उससे कुछ गलत करवाने और फिर उस पर हल्ला करने और सारी दुनिया में भारत को बदनाम करने का कुचक्र चल रहा है जिसमें वे सब शामिल हैं जो इस सम्बन्ध में पूछे जाने पर किन्तु परन्तु कहकर या फिर इसकी सीधे आलोचना न करके नयी बातें सामने रखकर बात को घुमाने का प्रयास करते हैं । ये सब इसलिए है कि सेना सोचना शुरू कर दे कि वह क्यों देश के लिए कुछ करे क्योंकि उसके किये को तो माना ही नहीं जा रहा है यानि उसकी देश सेवा पर सवाल उठाये जा रहे हैं । कभी उसको बलात्कारी कहा जा रहा है तो कभी उसको नेता के लिए लड़ने वाला यानि एक प्रकार से चमचा कहा जा रहा है । और ऐसे बयान देने वाले अपने आप बयान नहीं दे रहे हैं बल्कि वे किसी की शह पाकर ही बयान दे रहे हैं । इस देश में कितनी ही समस्याएं हैं जो आज तक नहीं सुलझी और वह क्यों नहीं सुलझी इसका पता लोगों को अब चल रहा है । जब सत्ता में वे लोग बैठे थे जो किसी आतंकवादी को जी के सम्मान के साथ बात किये बगैर नहीं रह पाते और सैनिकों के अपमान पर चुपचाप बैठे रह जाते हैं तो यह समस्याएं सुलझती भी कैसे ? अब ये छात्र तो अपना भविष्य नेतागिरी में देख रहे हैं और अपने आप को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर देशद्रोही कहलाने से भी इनको कोई गुरेज नहीं है तो ऐसे में यह सोचना बेहद जरूरी हो जाता है कि क्या इस देश में जिन छात्रों को जे एन यू जैसी सुविधा नहीं मिल रही है तो क्या उनका गुनाह सिर्फ यही है कि वे चुपचाप अपने देश के लिए समर्पित हैं और कभी ऐसा सोच भी नहीं सकते जैसा जे एन यू के छात्र सोच लेते हैं । अक्सर मीडिया में देखा जाता है कि देश द्रोह के सवाल पर सीधा पूछे जाने पर नेता हाँ या न में जवाब ही नहीं दे पाते और इधर उधर की बातें करने लगते हैं और यही सबसे चिंता का कारण है । देश का सवाल आने पर तो कुछ सोचने का मतलब ही नहीं होता । क्या हम कल्पना कर सकते हैं कि दुनिया के किसी देश में अपने देश के ही खिलाफ सवाल उठाने पर कोई कार्यवाही न हो । मगर , सच यह है कि असहिष्णुता का झंडा उठाये लोग तैयार बैठे हैं कि सरकार कोई कार्यवाही करे और वे सड़क पर उतरें और यदि सरकार कार्यवाही न करे तो उससे सवाल करें । ऐसे दलों की राजनीति हमेशा के लिए ख़त्म हो जानी चाहिए । इन राजनैतिक दलों की कोई विचारधारा हो ही नहीं सकती जिसे दुनियां में कहीं मान्यता मिले । रही बात सेना की तो जो सेना माइनस पचास डिग्री के कष्ट को झेल लेती है वह इन देश विरोधी बात करने वालों को भी आसानी से समझ जायेगी । ख़ुशी है कि मोदी राज में सारे सांप निकल निकल कर सामने आ रहे है ।
myself -
डॉ द्विजेन्द्र वल्लभ शर्मा
मोतीचूर हरिपुर कलां
रायवाला देहरादून
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डॉ द्विजेन्द्र वल्लभ शर्मा
मोतीचूर हरिपुर कलां
रायवाला देहरादून