गुरुवार, 25 जुलाई 2013

यह हिन्दू संस्कृति ही है जो कहती है -
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुखभाग भवेत्
 सभी लोग सुखी हों  सभी निरोगी हों सभी कल्याण देखें और कोई भी दुःख भोगने वाला न हो
तथा
यत्र विश्वं भवत्येकनीडम
अर्थात
जहां सारा विश्व एक घोंसला बन जाता है
 इसलिए सम्पूर्ण विश्व के लिए हिन्दू संस्कृति ही जरूरी है

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