बुधवार, 18 मार्च 2020

वो कहते थे - वो कम  दिमाग हैं। हम हँसते थे कि  ये क्या है ? कोई कम  दिमाग कैसे हो सकता है ? मामला तीन तलाक़ का था।  सरकार साथ खड़ी  थी।  सब उन पुरुषों को कोसते थे जो उन्हें कम दिमाग कहते थे।  वो केस जीत गयीं और सरकार ने तीन तलाक़ बंद कर दिया।  वो खुश हुईं।  कोई तो है उनका।  पहली बार सबने उन्हें पहली बार टीवी पर तेज आवाजों में बोलते , बहस करते सुना था।  उन्हें सरकार ने एक तोहफा दिया था।  निश्चिंतता का तोहफा। 
2019 आया और सरकार की पुनरावृति हुई। फिर कई बातें और हुईं।  370 , राम मंदिर और सी ए  ए  वगैरह।  असम  से शुरू हुआ आंदोलन up  में तो दफ़न कर दिया गया और दिल्ली में भी जब लाठी चार्ज हुआ तो जिन्हें दर्द हुआ उन्होंने  उनको ही आगे कर दिया जो उनके हिसाब से कम दिमाग थीं।  मुझे कुछ दिन तक लगा वो दिल्ली चुनाव तक हैं मगर फिर याद आया pm  का वह वाक्य जिसमे उन्होंने कहा था - शाहीन बाग़ एक प्रयोग है संयोग नहीं।  अब समझ आ गया है।  कोरोना फ़ैल रहा है और वो अल्लाह का सहारा लिए बैठी हैं।  कुछ हो गया तो सरकार है गाली देने के लिए। दूसरी कहती है - हमारे आंदोलन को कुचलने के लिए अफवाह फैलाई जा रही है। तीसरी कहती है - मोदी विदेश घूम कर आये हैं और वहाँ से कोरोना लाये हैं।  कोई कहता है - मोदी को कोरोना हो जाए।  ईरान से लोग लाये जा रहे हैं और सभी एक ही वर्ग के है।  धर्म से भी और मानसिकता से भी। कोई प्रधानमंत्री को धन्यवाद देने को तैयार नहीं। हाँ ,देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त कुरैशी एक ऐसी पोस्ट जारी करते हैं जिसमे ब्राज़ील के प्राइम मिनिस्टर मोदी जी से हाथ मिला रहे हैं और उसमे टिपण्णी की जाती है कि  ब्राज़ील के प्राइम मिनिस्टर अपना कोरोना चेक करवाते हुए कि  वे पॉजिटिव हैं। और फिर कुरैशी उस पर माफ़ी मांग लेते हैं।  मुझे याद है देश के पूर्व राष्ट्रपति हामिद अंसारी जिन्होंने रिटायरमेंट के अगले दिन ही कह दिया था कि  इस देश में मुसलमान सुरक्षित नहीं है। मगर यही लोग हैं जो सी ए  ए  पर इस जिद के साथ धरने पर हैं कि पाकिस्तान के मुस्लिम्स को भी लाया जाए।  दिलचस्प है। 
क्या ये कम दिमाग हैं।  नहीं , ये चालबाज हैं , चालक हैं। 

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