कल एन डी टी वी पर एक बहस देखी है जिसमें कई अन्य महानुभावों के साथ आम आदमी पार्टी के योगेंद्र यादव को भी देखा जिन्होंने योगी आदित्य नाथ के चयन को रूह कंपा देने वाला बताया है । उनके अनुसार उत्तर प्रदेश में हुई यह नियुक्ति समाज के एक वर्ग की रूह कंपा देगी । उनका यह बयान इतना अनावश्यक लगा कि कल चाहता था कि लिखूँ पर कुछ दिक्कत थी सो आज यह बता देना चाहता हूँ कि जनता के इतने बड़े फैसले के बाद भी आज भी कई लोग इस बात को समझने को नहीं हैं कि समय बदल रहा है और पूर्वाग्रह से ग्रसित लोग अभी भी समझ नहीं पा रहे हैं कि उनके वे तथ्य निरंतर गलत साबित होते जा रहे हैं जो वे मन में भ्रम की जगह पाले हुए हैं । वर्षों तक नरेंद्र मोदी जी के खिलाफ २००२ का प्रचार करते करते व देश में सेक्युलर राज में दर्जनों दंगों के होने के बावजूद २००२ को ही निशाना बना कर जो कुप्रचार किया गया वह जब तक पी एम् मोदी प्रधान सेवक नहीं बन गए तब तक चलता रहा है और थक हार कर अब इस समाज ने २००२ को गाना बंद कर दिया है क्योंकि इन्हें भी पता चल गया है कि जनता ने अब उनकी सुनना बंद कर दिया है । पिछले तीन साल में बहुत से हथकंडे अपनाये गए हैं और पनपाये भी गए हैं मगर ये सारी दुकानें अब बंद हो गयी हैं । कुछ लोग अब अपनी बेचारगी इस स्तर पर दिखा रहे हैं कि न्यू इंडिया का क्या मतलब है । क्या मनुस्मृति की समीक्षा की जायेगी मानो इस देश में मनुस्मृति की भी समीक्षा की जायेगी । खैर , बात योगेंद्र यादव से शुरू हुई जिन्हें उनकी सेक्युलर पार्टी ने धक्के मारकर बाहर निकाल दिया था और अब भी वे उससे ही जुड़े हुए हैं , यह उनकी मजबूरी है या महानता , यह तो वे ही जाने मगर वे अरविन्द केजरीवाल के इस कट्टरपन को क्या कहेंगे । क्योंकि योगेंद्र यादव एक बेहतर विश्लेषक रहे हैं इसलिए जब उन्होंने रूह कंपा देने वाली बात कही तो समझना जरूरी था कि देश में तमाम दंगे क्या रूह कंपा देने वाले नहीं थे ? जो सपा पांच साल रही उसमें उन्हें कुछ रूह कंपा देने वाला नजर नहीं आया । मुजफ्फर नगर के दंगे हों या उत्तराखंडियों पर १९९४ में मुलायम सरकार द्वारा किया गया अत्याचार , क्या वह रूह कांप देने वाला नहीं था ? १९८४ के दंगे क्या थे? दुःख के साथ यह कह रहा हूँ कि योगेंद्र यादव सहित तमाम लोगों के तमाम आकलन गलत साबित होने जा रहे हैं । प्रतीक्षा कीजिये । कुछ और वैचारिक दुकानों पर ताला पड़ जायेगा फिर ये लोग क्या करेंगे । नेगेटिविटी क्या होती है यह आपकी आजकल चैनलों पर होने वाली बहस में दिख जायेगा ।
सोमवार, 20 मार्च 2017
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