सोमवार, 25 फ़रवरी 2013

 ओजोन परत में छेद हो गया है. 


ओजोन परत में छेद हो गया है
मेरे अन्दर कहीं कुछ मर सा गया है ।
कहीं कुछ  ।
मर सा गया है ।
जो सवाल करता था अक्सर
ऐसा क्यों होता है ?
वैसा क्यों होता है ?
मैं उसे बार बार जिन्दाने की कोशिश करता हूँ
और वह बारम्बार दम तोड़ देता है ।
उसने देख लिया है सिद्धार्थ की तरह एक सच
कि  जब राज सत्ता खड़ी  होकर सिर नवाती है
और फिर छाती फुलाकर तन जाती है
सिर  में वही  अकड़  आ जाती है
तब फिर एक बूढा फ़कीर
लाचार बेबस
अपनों के बीच , अपनों से दूर
हतप्रभ सा अपने आभा मंडल में
ओजोन परत में छेद देख लेता है
और उस छेद को भरने को करता है
नयी नयी कोशिश
कि  और और छेद होते चले जाते हैं
और अब वह उन छेदों को भरे
या राजसत्ता के छेदों पर सवाल करे,
मेरे अंतर्मन ने वह सब देख लिया है
मेरे अन्दर कहीं कुछ मर सा गया है ,
दूर कहीं ओजोन परत में छेद हो गया है ।

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