रविवार, 13 जनवरी 2013



आइये दिमाग में कैंडल जलाएं 

आज संक्रांति है और यदि मैं फरवरी की दृष्टि से देखूं तो अट्ठाईस दिन का तो एक माह बीत चुका  है दामिनी प्रकरण को बीते हुए । दामिनी की आत्मा  अब तक मालूम नहीं भटक रही होगी या किसी नए शरीर में प्रवेश के लिए आतुर होगी । क्या इतनी जल्दी ? शायद नहीं । हमारी आत्मा की तरह वह भी बेचैन तो होगी ही जब तक कि उसके अपराधियों को फांसी की सजा नहीं मिल जाती । लेकिन काबिले गौर यह है कि हमारे अन्दर का धैर्य कब तक टिका रहता है दामिनी को सजा दिलवाने के लिए ? 16 दिसंबर से अब तक का नया आकलन तो अब तलक आया नहीं है कि प्रति 22 मिनट पर होने वाले बलात्कारों की संख्या में कोई कमी भी आई है या नहीं लेकिन इतना जरूर है कि बलात्कारों की ख़बरों जरूर निरंतर अब समाचारों की सुर्ख़ियों में हैं और हर बलात्कार के साथ बार बार यह जरूर कहा जाता है कि 16 दिसंबर के बाद ----------------। अभी 24 घंटे पहले जो खबर फिर से आई वह पंजाब से है जिसमे एक और बलात्कार की बात सामने आई है । 7 आरोपी में से 6 पकडे गए हैं और सातवें की खोज जारी है । यह प्रकरण भी बस में ही घटित हुआ है । लोग अभी अभी इंडिया गेट से कैंडल जला के लौटे हैं । सितम ढाती सर्दी को उत्तरायण में आते सूर्य ने थोड़ा सा गला दिया है और अब लोग घरों से बाहर निकले हैं ।  थके होंगे । सर्दी में ख़बरों की गर्मी ने थोडा सा गरमा कर रखा है । कुछ चूल्हे हमेशा के लिए बुझ गए हैं । दामिनी का तो हमने नाम रखा है । आम तौर पर सुस्त पुलिस ने पंजाब में लोगों को यह अवसर नहीं दिया है कि लोग उसका नाम रख सकें । पुलिस ने खुद ही रिपोर्ट में नामोल्लेख कर दिया है । कैंडल बार बार नहीं जलती । वह प्रतीक है । लोगों ने देख भी लिया है कि कैंडल जलाने पर डंडे मिलते हैं इंडिया गेट पर न कि प्रोत्साहन । इसलिए आइये हम अपने दिमाग में एक एक कैंडल जलाएं .

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें