और हाँ , ये जो तुम लोग दूसरों को गोडसे की पैदाइश कहते हो न , चलो तुम बताओ , गाँधी जी के बड़े अनुयायी बनते हो और शुक्रवार को जो इंजेक्शन तुमको लगता है जिसके बाद तुम कश्मीर से लेकर देश के अन्य हिस्सों में हिंसा फैलाते हो ये गाँधी वाली अहिंसा ही है क्या ? ये नमाज के बाद पत्थर फेंकना। इसी के लिए तुम गाँधी का समर्थन करते हो क्या ? क्या बात है ? अच्छा नाटक है। सुनो , यह जो तुमने दूसरे देशों में अभियान चला रखा है इससे होगा क्या ? अमेरिकन्स पोलराइज़ हो जाएंगे। ट्रम्प ने क्या कहा था याद है न। तुम फिर से ट्रम्प के खिलाफ वोट करोगे। तुम्हारे विरोधी ट्रम्प के समर्थन में चले जायेंगे। और ट्रम्प फिर सत्ता में आ जाएगा। फिर क्या होगा तुम जानते हो। गाड़ी घुमाते रहो और यह अहिंसा का नाटक मत करो। सच तो यह है कि पिछले छह साल से तुम्हें हिंदुस्तान में वह मनमानी करने की छूट नहीं मिली है जो तुम इस देश में करते आ रहे थे। अब बड़ी मुश्किल से मौका मिला है कुछ दंगा करने का। और इससे होगा कुछ नहीं। तुम कुछ शरीफ और आम मुसलमान को बेवकूफ बनाते रहो और कुछ दिन बाद सब कुछ साफ़ हो जाएगा। जिन खवातिनो को तुम दबा कर घर के अंदर रखते थे उन्हें तुमने बाहर निकालकर नेता बना दिया है बोलना सिखा दिया है और अब वे चुप नहीं रहेंगी और तुम्हारे खिलाफ भी बोलेंगी यदि तुम उनके साथ कभी अन्याय करोगे क्योंकि आज तुम्हारे आंदोलन को वो बचा रही है और आगे आ चुकी हैं। चलो बीजेपी ने बहुत सी मुस्लिम लीडर्स तो तैयार की जिन्हें शायद वही बाद में नेतृत्व दे दे और तुम समझ भी नहीं पाओगे। मगर यह अहिंसा का राग मत अलापो। इस देश में कभी ईद या मुहर्रम आदि पर अलर्ट नहीं होता सिर्फ दीवाली आदि पर होता है। क्यों ? पांच लाख कश्मीरी पंडित चुपचाप सब सह गए कुछ न बोल पाए तुम। अल कायदा , आईसिस , जैश इ मुहम्मद के खिलाफ कभी रैली नहीं निकल पाए तुम। क्या मजाक है ? गोडसे के नाम पर , दलितों के नाम पर , मीम भीम की थ्योरी पर कभी बेवकूफ नहीं बना पाओगे। मुझे तो पता है कि सी ए ए से या एन आर सी से किसी मुस्लिम को कोई नुकसान नहीं है। सिर्फ बांग्लादेशी ही परेशां होंगे थोड़ा बहुत। यदि हुए भी तो। पर तुम्हारी यह हिंसा ३७० वगैरह के कारण है। करते रहो जो करना है। कुछ नहीं होने वाला अब। सब सही चलेगा। तुम्हे खामखाह या जान बूझकर दूसरों को बेवकूफ बनाना है तो बनाते रहो।
सोमवार, 27 जनवरी 2020
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